From Principal's Desk

भारतीय धर्म, संस्कृति एवं सभ्यता  हमारे धर्मग्रंथों में सुरक्षित है। हमारा धर्मशास्त्र, वेद, पुराण, स्मृति आदि ग्रंथ संस्कृत भाषा में उल्लिखित है। संस्कृत देवभाषा है। देवों की स्तुति, प्रार्थना आदि के लिए संस्कृत का ज्ञान यथा संस्कृत का उच्चारण, पठन-पाठन तथा लेखन आवश्यक है। वेद समस्त धर्मों का मूलग्रंथ है। वेदों में ज्ञान-विज्ञान सूत्र रूप में सन्निहित है। अतः ज्ञान-विज्ञान, धर्म, संस्कृति एवं सभ्यता से अवगत होने के लिए संस्कृत के अध्ययन की परमावश्यकता है। हमारा महाविद्यालय इसी उद्देश्य से प्राच्य एवं आधुनिक विद्या के लिए संचालित है, जिसका लाभ स्थापना काल से क्षेत्र के सुदूर स्थानों से छात्र आकर उठाते हैं। आपका महाविद्यालय में हार्दिक स्वागत है।

1.देवभाषा के माध्यम से भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की रक्षा करना।    

2.संस्कृत शास्त्रों के अध्ययन से जीवन के परम लक्ष्य से परिचय कराना।।

3.संस्कृत भाषा में विद्यमान गौरवमयी ज्ञान परंपरा से छात्रों को अवगत कराना।।  

4.संस्कृत भाषा में सम्प्रेषण हेतु अधिकाधिक अवसर सुनिश्चित करना।।

5.संस्कृत के साथ आधुनिक ज्ञान विज्ञान की परंपराओं से छात्रों को परिचित कराना।।

6.अध्ययन हेतु सभी अपेक्षित सामग्रियों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।।   

7.संस्कृत शिक्षा को रोजगारपरक बनाना ।