बिहार प्रदेश के मधुबनी जिला अन्तर्गत इसहपुर गाॅव में पूर्व से ही एक संस्कृत उच्च विद्यालय चल रहा था, जिसमें मध्यमा तक की पढ़ाई थी। इस विद्यालय में मध्यमा उत्तीर्ण छात्रों को शास्त्री कक्षा में नामा»न हेतु या तो बहुत दूर जाना पड़ता था अथवा अधिकंश छात्र मध्यमा के बाद पढ़ाई छोड़ देते थें। इस समस्या को लेकर उस विद्यालय के संस्थापक बाबू जी बावू सामाजिक कार्यकत्र्ता लक्ष्मी नन्दन झा एवं पे0 विशेश्वर झा ने पक 1964 में इसहपुर एवं निकटवर्ती गाॅव के प्रवुद्धजनां की एक आमसभा बुलाई तथा उस सभा में उपस्थिति विद्वानां के समक्ष मध्यमा परीक्षोतीर्ण छात्रों की समस्या को रखा गया। एवं सम्मति से निर्णय लिया गया कि संस्कृत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु एक संस्कृत महाविद्यालय खोला जाय।
इसहपुर ग्राम निवासी संस्कृत शिक्षानुरागी एवं जमींदार श्री लक्ष्मीनन्दन झा ने महाविद्यालय स्थापना हेतु परिषर, भवन, एवं उपस्कर देने की स्वीकृत दी। उसी सभा मंे यह भी निर्णय हुआ कि दान दाता श्री लक्ष्मी नन्दन झा के पितामह श्री नदन्द झा का नाम महाविद्यालय के साथ जोड़ दिया गया। साशी निकाय का गठन सभापति श्री गंगानाथ झा एवं सचिव श्री लक्ष्मी नन्दन झा को चुना गया। 12.08.1965 को महाविद्यालय की स्थापना की गई तथा महाविद्यालय साशी निकाय का विधिवत गठन के बाद प्रधानाचार्य सहित शिक्षक तथा शिक्षकेत्तर कर्मियों की नियुक्ति कर पठन का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया। सभी औपचारिकता को पूर्ण करते हुए सभापति एवं सचिव के संयुक्त् हस्ताक्षर से महाविद्यालय का सम्बन्धन हेतु कामेश्वरसिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा से महाविद्यालय का सम्बन्धन देने का प्रस्ताव भेजा गया। प्रस्ताव के आलोक में कामेश्वरसिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलसचिव द्वारा हस्ताक्षरित पत्र महाविद्यालय को प्राप्त हुआ, जिसमें 1968 से महाविद्यालय को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत वि0वि0 दरभंगा द्वारा सम्बन्धन दी गई।
महाविद्यालय का उन्नयण एवं शैक्षणिक क्रिया कलाल के आधार पर बिहार सरकार द्वारा इस महाविद्यालय को वर्ष 1981 में अंगीभूत इकाई घोषित किया गया साथ ही महाविद्यालय के समस्त आधारभूत संरचना एवं दाइत्वों का अधिग्रहण विश्वविद्यालय द्वारा कर लिया गया। तब से यह महाविद्यालय कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्व्विद्यालय का एक अंगीभूत के रुप में संचालित होता आ रहा है।
यह महाविद्यालय 201 में यू0जी0सी0 द्वारा 2थ् एवं 12 वी मंे भी पंजीकृत हो चका है। फलस्वरुप माहविद्यालय का यू0 जी0 सी0 द्वारा बड़े पैमाने पर विकाशानुदान भी प्राप्त हुआ है। फलतः महाविद्यालय तेजी से विकाश पथ पर अग्रसर है।